तम्बाकू निषेध दिवस (31मई) पर एक रचना

तम्बाकू निषेध दिवस (31मई) पर एक रचना

करो तम्बाकू निषेध

लाखों योनि बाद मिला, मानव हमें शरीर। 
अपने हाथों बना ले, तू अपनी तकदीर।।
अपने पाँव पसार मत, नशा मौत का द्वार।
जीवन दो दिन का खेल, गले लगा ले यार।।
छोड़ नशा यह लत बुरी, सबको है पैगाम।
सेवन करो सब्जी फल, और दूध बादाम।।
नशामुक्त समाज हमें, सच में है बनाना।
बहुत जलाया तम्बाकू, अब यह है बुझाना।।
कोसों दूरी बनाकर, जड़ से मिटा निशान।
धुआँ फूँक खोखला तन, आओ बचाएँ प्राण।।
कर लो तुम आज भाई, ये तम्बाकू निषेध।
है पदार्थ ऐसा यह, दिल में करता छेद।।
बेवफाओं से वफा की, उम्मीद ना लगाना।
तुझे समझ जो ना सकी, काहे दिल जलाना।।
खाँसी, दमा हृदय रोग, है बीमारी हज़ार।
उस कस का भी क्या काम, कर दे जो बीमार।।
लेप साधना का खुदा, मन में है लगाना।
अगले जन्म हमें खुदा, मुँह भी है दिखाना।।

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