“मातृभूमि की जय करो”
य़े दोहे उन लोगों को समर्पित है जो भारत माता की जय नहीं कर सकते...
मैली जिनकी हो रूह, मुख में हो तलवार।
भाती उन्हें क्यों नहीं, धरती की जयकार।।
कैसा वो है धर्म जो, ना सिखाता सलाम।
किरपा रखो उनपर प्रभु, भला करो श्रीराम।।
नारी रूप पत्थर का, समझे जो फनकार।
शरीर वो बिन काम का, जीवन भी बेकार।।
जिह्वा वो किस काम की, बोल सके न बोल।
ऐसा दिल बिन काम का, तोल सके न मोल।।
जननी है भारतभूमि, करते क्यों अपमान।
मातृभूमि की जय करो, भारत पर अभिमान।।
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